मैं सदैव तुम्हारे मौन का साथ दूंगी
मैं सदैव तुम्हारे मौन का साथ दूंगी
तुम्हारे मौन को सुनुंगी
उसे पूरी सिद्दत से गुनुंगी
क्यूं कि तुम ने सुना था
मेरे अंतहपुर के मौन को
तुमने एक भीत दी थी
मेरे गिरते हुए विश्वास को
तुम्हारे मौन ने मुझे
और ज्यादा घायल होने से बचाए रखा
तुम्हारे मौन में धैर्य था,
जिसने मुझे धैर्य का महत्व बताया
मै सदैव प्रतीक्षा करूंगी
तुम्हारे मौन कि संझा की ओर प्रस्थान को
ताकि वो लौट सके अपने घर
और तुम्हारी वाणी को मिले शब्द
तब तक साथ दूंगी, तुम्हारे मौन को
सम्मान दूंगी तुम्हारे गुम हुए वाणी को
अपने मौन से, मेरे संझा तक…
… सिद्धार्थ