मैं शायर
1.मैं शायर तो नहीं मगर है दिल लगी, जबसे लिखना शुरू किया है शायरी बन गई।
दिल कहता है तुझसे,पास आओ हमारे
दूर जाओ न हमसे, समझो नजरों के इशारे
रोशनी है यह चांदनी की तरह।
हैं तुम्हारी नजर शराबों की तरह
मैं गायक तो नहीं मगर है खुशी जब मिला मैं तुझसे गायिकी आ गई।
मैं शायर तो नहीं मगर है दिल लगी जबसे लिखना,लिखना शुरू किया है शायरी बन गई।
2.हर नजरों को पढ़ लूं, मैं अपनी नजर से
दिल कहानी को लिख दू मैं दिल की कलम से
हर कोई पाना चाहे तुम को यहाँ
दिल तुम्हारा बनेगा निशाना यहाँ
मैं दीवाना तो नहीं, मगर ये पुष्प कि कली,जब से चाहा, चाहा मैंने तुझको दीवानगी आ गई।
मैं शायर तो नहीं मगर है दिल लगी जबसे लिखना शुरू किया है शायरी बन गई।
3.जुबां पे है मेरे कहानी तुम्हारी,दिल देदो हमें तुम बनेगी निशानी
आया हूं यहाँ पर मैं तुमको फसाने, मगर हैं यहाँ पर बहुत से तुम्हारे दीवाने।
तुम हमारी तो नहीं मगर ये हंसी जब से देखा,देखा पाया मैंने तुझको, हर खुशी आ गई।
मैं शायर तो नहीं मगर है दिल लगी जबसे लिखना, लिखना शुरू किया है शायरी बन गई।
संजय कुमार✍️✍️