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22 Apr 2024 · 1 min read

मैं शब्दों का जुगाड़ हूं

कविता के ताल से निकली तु शब्दों का जाल है।

कविता की गहराई में छिपी तु भावो का माया जाल है।

तेरे सहारे मैं सदा अपने भावो को पिरोता हूँ

अपने पन के दाव से खुली किताब का 2 तुम तो खामोशी का खामोश हो पान हो’

* तुम्हे पढने खातिर मा समय की ना जगह की पाबन्दी है।

जहां कक मैं तेरा गुणगान तुम वही गणगौर घटा ती खिल जाती हो

मोतियों के हार की तुम वो पक्का धागा हो, जिस‌के दम पर तुम्ही को हमे रिश्तो की गाठ समझाती हो

पल तो पल का यह सफर थाम कलम ले गया यह जफर

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 48 Views
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