मैं शक्ति हूँ
” मैं शक्ति हूँ ”
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मैं दुर्गा हूँ ,
मैं काली हूँ !
मैं ममता की रखवाली हूँ !!
मैं पन्ना हूँ !
मैं हाड़ी हूँ !
मैं फूलों वाली बाड़ी हूँ !!
मैं रूकमिणी हूँ ,
मैं राधा हूँ !
मैं नर का हिस्सा आधा हूँ !!
मैं सावित्री हूँ ,
मैं सीता हूँ ,
मैं ही भगवद्ग – गीता हूँ !!
मैं पद्मिनी हूँ ,
मैं रजिया हूँ !
मैं मलय सुगन्धित बगिया हूँ !!
मैं नीर हूँ ,
मैं ज्वाला हूँ ,
मैं ही मादक प्याला हूँ !!
मैं मधुमास हूँ ,
मैं सावन हूँ !
मैं गंगा जैसी पावन हूँ !!
मैं चंदन हूँ ,
मैं वंदन हूँ !
मैं भारती का स्कंदन हूँ !!
मैं गीत हूँ ,
मैं प्रीत हूँ !
मैं ही जीवन – संगीत हूँ !!
मैं भाग्य हूँ ,
मैं प्रकृति हूँ ,
मैं खुद एक संस्कृति हूँ !!
मैं आन हूँ ,
मैं शान हूँ !
मैं गौरव और अभिमान हूँ !!
मैं जीवन हूँ ,
मैं मोक्ष हूँ !
मैं शक्ति एक परोक्ष हूँ !!
मैं कर्म हूँ ,
मैं मर्म हूँ !
मैं लाज-हया और शर्म हूँ !!
मैं सद्गुण हूँ ,
मैं वादा हूँ !
मैं अखण्डित मर्यादा हूँ !!
मैं शोला हूँ ,
मैं शबनम हूँ !
मैं एक सुरीला सरगम हूँ !!
मैं साज हूँ ,
मैं ताज हूँ !
मैं बिना पंख परवाज हूँ !!
मैं मिष्ठी हूँ ,
मैं दृष्टि हूँ !
मैं प्रेम से पूर्ण वृष्टि हूँ !!
मैं पूजा हूँ ,
मैं भक्ति हूँ !
मैं सारभूत अभिव्यक्ति हूँ !!
मैं व्यष्टि हूँ ,
मैं समष्टि हूँ !
मैं जीवन की नव-सृष्टि हूँ !!
मैं ज्योति हूँ ,
मैं स्वाति हूँ !
मैं ही “दीप” की बाती हूँ !!
मैं नारी हूँ ,
मैं शक्ति हूँ !
मैं ही जीवन की तृप्ति हूँ !!
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डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”