*** मैं वो शायर नहीं *****
मैं वो शायर नहीं हूँ दोस्तों
जो अपने ग़म को
सीने में छुपा कर
शायरी में बयां करता है
दफ़न मुहब्बत कर
दुनियां से बयां करता है
करता नहीं मुहब्बत
मुहब्बत का दम भरत है
जीवन
दुखों का बना कर दरिया
सफ़र
उस दरिया में करता है ।।
. ?मधुप बैरागी