हास्य:-लेनदेन व्यवहारिकता पर,
आज एक अजीब सी नाजुक स्थिति है,
लोगों मे..
अगर किसी से पैसे माँगने जाओ,
तो उल्लेख पैसों का सुनने को मिलता है,
पैसे फिर भी नहीं मिलते,
.
इतने पैसे उसको दिए,
उतने फलां को,
अभी तक किसी ने लौटाए नहीं,
इतने उतनों में उलझाए रखता है,
आपको कैसे दें ?आदि-आदि,
.
शायद मिला नहीं कोई सुनाने को,
इसलिए व्यवहारिक पाठ पढ़ाते है,
फँस गया आज तो कोई सुनने वाला,
आज नहीं मौका व्यर्थ गँवाना है,
सब दिल के हाल सुनाने है,
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मत मारी गई फिर भी इसकी,
जो पैसे माँगने आऐगा,
शायद पैसे मांगने तो दूर,
देखते ही मुँह फेर कर भाग जाएगा,
नहीं भी भगा तो
कहानी सुनाने के काम आएगा,
.
बैठा है हर आदमी यूँ ही,
दिल में छुपाए एक कहानी,
आप तो मेरे अजीज है,
आपको कैसे मना करूँ,
पर मजबूरी है ?
मैं कुछ नहीं कर सकता ..आदि-आदि,
.
लेनदेन पर हास्य,
डॉ महेन्द्र सिंह खालेटिया,
रेवाड़ी(हरियाणा)