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4 Jan 2019 · 1 min read

मैं लिखता क्यों हूँ

कहते पूछते और बरसते,

सहकर्मी, हितैषी, मित्र और संगी,

तुझे ही पड़ी है तू ही सही ,

तू लिखता क्यो है??

सवाल कर देते विचलित मुझे,

अविचलित हृदय को ना सुझें,

मै लिखता क्यों हूँ

सोचता विचारता जवाब सूझे

मैं लिखता हूँ क्योंकि भाव उमड़ते रहते है,

शब्द तड़पते रहते है,

परिस्थिति बदलते रहते है,

उकसते है मन क्रांति को,

और क्रांति गढ़ जाते है

कल्पनाओं को कर जागृत,

अनुभूतियों पर आश्रित,

चढ़ कल्पनाओं के मचान पर,

यथार्थ गढ़ जाते है

मैं लिखता हूँ दबी आकांक्षाओं को,

प्रज्वल्लित भावनाओ को

कुछ मुस्कुराते

कुछ जल कर राख हो जाते है

कभी धधकती कभी बुझती,

कभी बहती कभी उफनती,

कुछ शब्दों की लहरों से आनंदित होते

कुछ द्वेष-भाव मे बह जाते है

Language: Hindi
1 Like · 281 Views
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