मैं रोया नहीं इसलिए
च़हरा गमों की धूप में..लाजिम था धो पड़ो
सुध-बुध गँवा के..होश को महफिल में खो पड़ो
आँसू तो मिरी आँख में भी कम न थे मगर
मैं रोया नहीं इसलिए..के तुम न रो पड़ो
च़हरा गमों की धूप में..लाजिम था धो पड़ो
सुध-बुध गँवा के..होश को महफिल में खो पड़ो
आँसू तो मिरी आँख में भी कम न थे मगर
मैं रोया नहीं इसलिए..के तुम न रो पड़ो