मैं रोते हुएे जब अकेला रहा हूँ
कहाँ और कब कब अकेला रहा हूँ
मैं हर रोज़ हर शब अकेला रहा हूँ
मुझे अपने बारे में क्या मशवरा हो
मैं अपने लिए कब अकेला रहा हूँ
उदासी का आलम यहाँ तक रहा है
मैं होते हुऐ सब अकेला रहा हूँ
यहाँ से वहाँ तक इधर से उधर तक
मैं पश्चिम से पूरब अकेला रहा हूँ
बहुत हौंसला मुझको मैंने दिया है
मैं रोते हुएे जब अकेला रहा हूँ
तेरी ज़ात मुझसे जुदा ही रही है
मैं तब हो कि या’ अब अकेला रहा हूँ
नासिर राव