मैं राम का दीवाना
मैं राम का दीवाना राम राम जपता हूंँ
अपने हृदय में छवि श्रीराम की रखता हूँ।
तुम हो मेरे आराध्य मेरे रामजी हो
तुम हो दिनों के नाथ दीनानाथ जी हो
नाम लेकर तुम्हारा मैं सारे काम करता हूँ
मैं राम का दीवाना राम राम जपता हूँ।।
जो भक्ति मिली है मुझे तुम्हारी हे प्रभु!
मैं धन्य हुआ जागे मेरे भाग्य हे प्रभु!
अब आठों पहर बस तुम्हारा ध्यान करता हूँ
मैं राम का दीवाना राम राम जपता हूँ।।
महिमा की तुम्हारा ना कोई पार हे प्रभु!
कर देते हो तुम सब का बेड़ा पार हे प्रभु!
जग में तुम्हारे नाम का गुणगान करता हूँ
मैं राम का दीवाना राम राम जपता हूँ।।
भक्तों के लिए तुम बड़े उदार हो प्रभु!
करुणानिधि कृपा के तुम भंडार हो प्रभु!
भक्ति तुम्हारी मैं तो सुबह शाम करता हूँ
मैं राम का दीवाना राम राम जपता हूँ।।
-रामभक्त विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’