मैं मरूँगा किसी शहर और काल में नहीं-
मैं मरूँगा किसी शहर और काल में नहीं-
पर एक फूल में।
मैं सिमट जाऊँगा आखिरकार
एक पुष्प में-
जो तोड़ा जाएगा
किसी अल्हड़ के हाथ
बिना मतलब-
वैसे ही जैसे मैंने
जीना चाहा था।।
मैं मरूँगा किसी शहर और काल में नहीं-
पर एक फूल में।
मैं सिमट जाऊँगा आखिरकार
एक पुष्प में-
जो तोड़ा जाएगा
किसी अल्हड़ के हाथ
बिना मतलब-
वैसे ही जैसे मैंने
जीना चाहा था।।