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29 Jun 2019 · 1 min read

“मैं भी बनूंगी सहारा” (कविता)

मेरी प्यारी गुड़िया जीवन से भरी,
खुशियो की कड़ी मन में यूं लहरी
जब से आई तू मेरे अंगना
मेरे भाग्य खुले लक्ष्मी बसी घरमा
तेरे मासूम सवालो की लड़ी
तोतली जुबां की कली खिली

पलकों को बंद करके नन्ही परी सो जाती
जाने कहां मीठे-सपनो में खो जाती
लचककर भरती कदम होले होले उठाती
अपने आप में खोई हुई बहार मुस्काती

मां की कोख में बेटी बोल रही
मुझे भी देख लेने दो ये संसार
मेरा भी हक़ है खेलने का
कुछ सपने मैंने भी देखे
माता-पिता की गोद में मुझे है आना
कूल-दीपक बन मै भी बनूंगी सहारा

Language: Hindi
1 Like · 286 Views
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