मैं भी तुम्हारी परवाह, अब क्यों करुँ
मैं भी तुम्हारी परवाह, अब क्यों करुँ।
मैं भी मदद तुम्हारी, अब क्यों करुँ।।
सम्मान मुझको, कभी नहीं दिया है।
तुम्हारी कद्र मैं भी, अब क्यों करुँ।।
मैं भी तुम्हारी परवाह——————–।।
मैं कर रहा हूँ आज, तुम्हारे जो साथ में।
तुमने किया है यही, कल मेरे साथ में।।
पूछे नहीं तुमने कभी, क्यों हाल मेरे।
मैं भी तुम्हारे लिए , दुहा क्यों करुँ।।
मैं भी तुम्हारी परवाह——————-।।
रहम मुझपे तुमने, किया नहीं कभी।
बांटे नहीं दुःख मेरे, क्यों तुमने कभी।।
हंसते थे तुम तो बहुत, मेरे आँसू देखकर।
मैं भी तुम्हारे दर्द, दूर क्यों करुँ।।
मैं भी तुम्हारी परवाह——————–।।
मुझको भी ख्वाब मेरे, मुकम्मल करने हैं।
कुछ पल मुझको भी, अब चैन से जीने हैं।।
करनी है रोशनी अब, मुझको भी जीवन में।
बर्बाद खुद को मैं, अब क्यों करुँ।।
मैं भी तुम्हारी परवाह——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)