मैं भारत हूं मैं, भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं।
मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं।
मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं।
गौतम का न्याय सूत्र मुझमें,तो है कणाद का वैशेषिक
सीता अनुसुइया सा सतीत्व आदर्श राम सा परितोषिक
ऋग्वेद ऋचाओं का साक्षी, मैं सिंधु सभ्यता का पोषक
गौतम प्रबुद्ध बुद्ध महावीर,स्वामी विवेक से उद्घोषक
श्री कृष्ण प्रेम रस योग जोग, जीवन सुमंत्र से गुर लेकर
गीता सा कर्म योग देकर मै आज सकल जग आरत हूं।
मैं भारत हूं मैं भारत हूं,मैं भारत हूं मैं भारत हूं।
मैं आर्य द्रविड़ मैं बंगबंधु उत्कल गुजरात मराठा हूं
मैं मारवाड़, मेवाड़ पूज्य,मैं शान पंजाबी ढाटा हूं
मैं कन्नौजी,बृज,अवध मगध,उत्तराखंड राजस्थानी
है शुभ्र मुकुट सा काश्मीर,सागरमाथा सी पेशानी
सब भिन्न भिन्न होकर अभिन्न,ऐसा है अपना राष्ट्रवाद,
समवेत स्वरों में बोलें हम भारत माता की जिन्दाबाद
सबको जो जोड़ रखे जड़ से रखता मैं वो ही महारत हूं।
मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं।
छाई सारे जग पर माया मैं सोन चिरैया कहलाया
हम भेद भाव से थे पीड़ित था क्रूर नियति ने भरमाया
मंगोल, अरब, यूनान, रोम अफगान फिरंगी जग आया
व्यापार बहाना था केवल छल छद्म जाल था फैलाया
धोखे के हम होकर शिकार अपने ही घर में गये हार
पर हमने हार नहीं मानी, आगे बढ़ लड़ने की ठानी
इस अखिल विश्व में आशा की मैं लिखता नई इवारत हूं,
मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं।
माँ शकुन्तला दुष्यंत पुत्र श्री भरत नाम गुण धामी हूं,
है दांत शेर के जो गिनता मै उस पौरुष का स्वामी हूं
खो खो कर पाया है हमने,पा पाकर हमने खोया है
अन्याय,अकाल,अनीति सभी हमने अतीत में ढोया है
रथ अलेकक्षेन्द्र का रोक दिया पुरु राजा हिन्दुस्तानी हूं,
जो थी बुलन्द जो है बुलन्द जो और अभी होगी बुलन्द
वो साहस रचित इमारत हूं
मैं भारत हूं मैं भारत हूं, मैं भारत हूं मैं भारत हूं।