मैं भारत हूँ–2
.: रचना-2
गीत गा रही हवा सुहानी
इठलाती कहती
मैं भारत हूँ ।
इंद्रधनुष के रंग सजीले
आभा बिखराते कहते
मैं भारत हूँ।
उड़ते पाखी नील गगन
कलरव करते कहते
मैं भारत हूँ।
अरुणोदय हो राका उदय
धरा को चूमती किरणें कहती
मैं भारत हूँ।
पूर्व की लालिमा हो या
पश्चिम का कैनवास,कहता
मैं भारत हूँ।
उठती उर्मिया सरिता में
उदधि संग बहती ,कहती
मैं भारत हूँ।
नवयौवना ने किया शृँगार
घूंघट की चितवन से कहती
मैं भारत हूँ।
बिखरी रातरानी शैय्या पर ,
शहीदों पे अर्पित फूल कहते
मैं भारत हूँ।
भोर का उजाला हो या
बेला गौधूलि की
बैलों की घंटी बजती
मैं भारत हूँ।
हरहराती गंगा बहती
वाराणसी से घाट पुकारे
मैं भारत हूँ।
माँ का आँचल देता छाया
पिता के काँधे विश्राम
मैं भारत हूँ।
पाखी