मैं भारत हूँ –1
[04/07, 18:20] ..: मैं भारत हूँ
मैं भारत हूँ ,हाँ मैं भारत हूँ
अपने ही संस्कारों में घिरा
मैं भारत हूँ।
नीला नभ ऊपर ,नीचे वसुंधरा हरी
शान से लहराता ध्वज ,मैं भारत हूँ।
दुर्दिन देखे, कुदृष्टि झेली ,
आतंकवाद की छाया डोली।
की चोट करारी हर दुश्मन पर
मैं भारत हूँ ।
मेरी गोद में नदियाँ सोती
झरने सागर किलकार करे।
नन्हीं सीपियाँ सिमटी तल में।
मोती उनमें कौन भरे ?!
मैं भारत हूँ।
कितनी ललनाएं जौहर कर निकली
कितने आतातायी सर कलम हुये
कितने मंदिर ,देवालय टूटे
कितने देव खंडित किये।
मैं भारत हूँ।
जाँ बाज सिपाही माटी से निकले
जो थे गाँव की गोद पले ।
कर दी कोख भी सूनी
माँ ने अपने लाल दिये।
मैं भारत हूँ जी, मैं भारत हूँ.
पाखी