मैं भारत की माटी से आती हूँ
रण में उतर जाऊँ पहन बसंती चोला
पहन वर्दी वन्दे मातरम् हर साँस ने बोला
सीता दुर्गा लक्ष्मी सी कहलाती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ
गंगा से सीखा निरंतर बहना
हिमालय से तूफ़ानों में खड़े रहना
हर विपदा में कोयल सी मैं गाती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ ….
हूँ रण में झाँसी की रानी की तलवार
दुश्मनों से कभी न मानती हार
देश रूपी चमन को अपने कर्मों से महकाती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ….
अपमान किया तो हूँ मैं ज्वाला
वरना अमृत का मैं प्याला
ममता की छाँव में सबको बिठाती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ …
उसने सदा खाया धोखा
जिसने मुझे कम है आँका
मैं तो इतिहास बदलने आती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ ….
खेतों में मैं हल चला लूँ
रॉकेट हवाई जहाज़ उड़ा दूँ
खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर लाती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ …
चूल्हे चौके तक ना सीमित रहती
डॉक्टर वैज्ञानिक शिक्षिका मैं बनती
कभी बन राष्ट्रपति देश चलाती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ …
हर कठिनाई से हँसकर जूझती
रिश्ते निभाने में खुद को भूलती
अपनों के दिल में मैं ख़ुदको पाती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ ….
जड़ो से सदा जुड़ी रहती
पंख खोल आसमान छू लेती
आए विपदा तो शेरनी सी दहाड़ती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ ….
भरे हैं मुझमें संस्कार
तुलसी कबीर के विचार
घर को मैं स्वर्ग बनाती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ ….
प्राण मेरे तिरंगे में बसते
साँसों में वन्दे मातरम् के स्वर गूँजते
हिन्दुस्तान की मैं बेटी कहलाती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ …
हिन्दी में कविताएँ लिख विश्व रिकॉर्ड बनाती
दुनिया को देश की गौरव गाथा सुनाती
जन्मभूमि की माटी को माथे पर सजाती हूँ
मैं भारत की माटी से आती हूँ ….
इंदु नांदल विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित