मैं बनी तेरी दुल्हन
2122 2122 2122 212
मन से मन के फेरे करके मैं हुई तेरी सजन।
हाथ में अब हाथ लेकर ले लिये सातों वचन।।
आपका ही नाम हाथों की लकीरों में लिखा।
मिल गयेआखिर हमारा होनाथा इक दिन मिलन।।
मैं तुम्हारे नाम का श्रंगार करती हूँ सनम।
आपके दीदार की मुझको लगी दिल में लगन।।
दिल हमारा तोड़कर रब ने किया हमको जुदा
फिर मिले हम तुम सनम ज्यों जिस्म इक दो हों बदन।।
ज्योति दिल में जल रही अब बस पिया के नाम की।
खुशनुमा मौसम फ़िज़ा का महका महका है चमन।।
श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव साईंखेड़ा
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
साईंखेड़ा