“मैं प्रेम हूँ”
“मैं प्रेम हूँ”
प्रेम से भरा है मेरा हृदय,
प्रेम करता हूँ,
प्रेम लिखता हूँ,
प्रेम ही जीता हूँ,
मुझसे नफरत करो,
मेरा क्या,
मुझे प्रेम ही आता है,
मैं वही दे पाउँगा,
दिल में जगह देता हूँ,
दिमाग में बैठाना नहीं भाता,
प्रेम से जीतना चाहता हूँ,
मैं प्रेम स्वरुप हूँ,
मैं प्रेम का स्वरुप हूँ,
मैं प्रेम हूँ, हाँ मैं प्रेम हूँ
प्रेम बसा है मुझ में
मैं प्रेम में बसा हूँ
प्रेम मेरा प्रतिरूप है
मैं प्रेम का प्रतिरूप हूँ
मैं प्रेम हूँ हाँ मैं प्रेम हूँ
“सन्दीप कुमार”