*** मैं प्यासा हूँ ***
*** मैं प्यासा हूँ ***
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मानवीय संवेदनाओं की गहन अभिलाषा हूँ
• मैं प्यासा हूँ –
ऊंचे-ऊंचे महल,आफिसों,बंगलों में जीवन
ढूंढ रहे पक्षियों में आज़ निराशा हूँ
• मैं प्यासा हूँ –
तपती धरती,तपता अंबर,तपते लोगों में
बारिश के बूंदों की आशा हूँ
• मैं प्यासा हूँ –
वन,बाग़,बगीचे, काट बसाए शहर बहुत
शहरी अन्तर्मन में बसा हताशा हूँ
• मैं प्यासा हूँ –
देखकर आया हूँ, गाँवों में पसरे सन्नाटे को
शहरों के चौराहों पर खड़ा तमाशा हूँ
• मैं प्यासा हूँ –
ताल,तलैय्या,झील व पोखर ढूंढ रहे पक्षियों के
आँखों का गिरता नीर ज़रा सा हूँ
• मैं प्यासा हूँ –
“चुन्नू”प्यासे पक्षियों का दुखड़ा किसे सुनाऊँ मैं
देकर आया झूठा आज़ दिलासा हूँ
• मैं प्यासा हूँ –
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ(उ.प्र.)✍️