मैं पूछूँगा
जब तुम
किसी पुरातन दुर्ग की
सीढ़ियों से उतरते हुए देखोगी
पत्थर की दीवारों को
टूटते हुए
जब तुम
किसी लौह-स्तंभ को देखोगी
जंग से झड़ते हुए
जब तुम
पतझड़ में देखोगी
किसी हरे-भरे पेड़ के पत्ते
गिरते हुए
उसके बाद
मैं तुमसे पूछूँगा
क्या हुआ इनके यौवन को?
क्यों झुर्रियाँ पड़ गयी है?
इनके चेहरे पर।