Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Feb 2024 · 1 min read

मैं पापा की परछाई हूं

छोटे से वो पैर मेरे और छोटी वो उंगलियां ,
बिन कुछ समझे पकड़ पापा का हाथ देखने चली मैं दुनिया ।

इस दुनिया ने क्या रंग सिखाया ,
दोगले रूप में जीने कि ढ़ंग सिखाया ।
थी मैं अंजान सब रंगों से ,
कुछ ने रंग बदलना सिखाया ,
कुछ ने ढ़ंग बदलना सिखाया ।
लेकिन जब से पकड़ा पापा का हाथ ,
पापा ने नि:स्वार्थ जीना सिखाया ।

खुद की खुशी ढूंढ लूं मैं ,
जिंदगी के रंगों को चूम लूं मैं ,
यही है उनके जिंदगी का आयाम ,
कभी कहते करो ,काम कभी करो दिनभर आराम ,
लेकिन आज भी उनके आगे रही मैं वहीं छोटी नादान ।

मैंने जिंदगी सरलता से जीना सीखा ,
लेकिन पापा के बिना हर लम्हा था फीका ,
रहते थे बहुत दूर लेकिन उन्ही के आशिर्वाद से खुद को आगे बढ़ाना सीखा ।

जिंदगी के एक ऐसे चरण पर खड़ी थी मैं ,
जहां पापा के हर खुशी की कड़ी थी मैं ,
पता नहीं किस उलझन में पड़ी थी मैं ,
आज भी ‌‌‌‌‌उनके साथ के लिए अकेले खड़ी थी मैं ।

समय का एक चाल था वो ,
संगीत का एक राग था वो ,
जिस पल पाया पापा के गुण खुद में ,
मेरे जिंदगी का नया अंदाज था वो ।

मेरे पापा हैं सबसे अनमोल ,
उन्होंने दिखाया जिंदगी का हर रोल ,
अगर न होता पापा के हाथों का मोल ,
कभी ना सीख पाती रोटी बनाना गोल ,
पुरी जिंदगी बन गई मेरी भूगोल ,
पापा जी ने सिखाया हर कला का मोल ,
हो गयी मेरी जिंदगी अनमोल ।

Language: Hindi
1 Like · 98 Views
Books from ज्योति
View all

You may also like these posts

आओ छंद लिखे (चौपाई)
आओ छंद लिखे (चौपाई)
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
23/176.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/176.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
तेरी
तेरी
Naushaba Suriya
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Teacher (गुरु मां)
Teacher (गुरु मां)
Sneha Singh
चिंतन
चिंतन
Rambali Mishra
दूर क्षितिज तक जाना है
दूर क्षितिज तक जाना है
Neerja Sharma
उहे समय बा ।
उहे समय बा ।
Otteri Selvakumar
मुहब्बत सचमें ही थी।
मुहब्बत सचमें ही थी।
Taj Mohammad
स्वभाव
स्वभाव
अखिलेश 'अखिल'
मुझसा फ़कीर कोई ना हुआ,
मुझसा फ़कीर कोई ना हुआ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अंताक्षरी पिरामिड तुक्तक
अंताक्षरी पिरामिड तुक्तक
Subhash Singhai
धार तुम देते रहो
धार तुम देते रहो
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
जैसे आँखों को
जैसे आँखों को
Shweta Soni
*अपनेपन से भर सको, जीवन के कुछ रंग (कुंडलिया)*
*अपनेपन से भर सको, जीवन के कुछ रंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
■आज का सवाल■
■आज का सवाल■
*प्रणय*
शीतलहर
शीतलहर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
सुबह सुबह उठ कर उनींदी आँखों से अपने माथे की बिंदी को अपने प
सुबह सुबह उठ कर उनींदी आँखों से अपने माथे की बिंदी को अपने प
पूर्वार्थ
अगर प्यार तुम हमसे करोगे
अगर प्यार तुम हमसे करोगे
gurudeenverma198
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
Krishna Manshi
आसाँ नहीं है - अंत के सच को बस यूँ ही मान लेना
आसाँ नहीं है - अंत के सच को बस यूँ ही मान लेना
Atul "Krishn"
🙏🙏
🙏🙏
Neelam Sharma
"स्वप्न-बीज"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
Manoj Mahato
कुछ राहें ऐसी भी ...
कुछ राहें ऐसी भी ...
MUSKAAN YADAV
इससे बढ़कर पता नहीं कुछ भी ।
इससे बढ़कर पता नहीं कुछ भी ।
Dr fauzia Naseem shad
निहारा
निहारा
Dr. Mulla Adam Ali
रिश्तों की बेशक न हो, लम्बी-खड़ी कतार
रिश्तों की बेशक न हो, लम्बी-खड़ी कतार
RAMESH SHARMA
यही तो जीवन है
यही तो जीवन है
OM PRAKASH MEENA
Loading...