मैं ना जाने क्या कर रहा…!
मैं, ना जाने क्या कर रहा,
मुझे ना ये संभाल रहा,
कोशिशें मैं कर रहा,
पर मन मेरा बिखर रहा,
खामोश मैं अब चल रहा,
हर काम में विफल रहा,
अकेला अब मैं पड़ रहा,
गलतियों से लड़ रहा,
हर पल मुझे सहमा रहा,
डर मुझ में समा रहा,
कलेजा मेरा जल रहा,
उनको मैं ना खा रहा,
दुनिया से अब हार रहा,
उनके शब्दो को मार रहा,
शांति मैं बस चाह रहा,
वो मुझ पर घुर्रा रहा,
मैं उनसे हूं लड़ रहा,
मेरी चोटों को पढ़ रहा,
धीरे से मैं कर्म कर रहा,
सवाल खुद से कर रहा,
मैं ना जाने क्या कर रहा…!