//मैं नहीं//
//मैं नहीं//
जो हाथ तुमने थामा हैं
वह हाथ मेरा है नहीं
जिस संग प्रित लगाई तुमने
वह प्रेम संगनी मैं नहीं
न मैं राधा न रुकमणी
तेरे कहानी की मीरा भी नहीं
कही पीड़ पराई क्या कहूं
मुझ पर जो बीती कम नहीं
तुझे सोच कर भी हिय मेरी
रुके सांस की आहे भरे
हर बात छिपा लेती हँसी
कसूर नयनों का भी नहीं
कोई तह नहीं इस बात की
कि बात होगी तेरी-मेरी कभी
जो हाथ तुमने थामा हैं
वह हाथ मेरा है नहीं
एक तरफा है जग कहे
तुम समझ भी न पाए एक रंज यही
नाम के तुम चैतन्य हो पर
इस विषय की अवल हूँ मैं अभी
कही पीड़ पराई क्या कहूं
मुझ पर जो बीती कम नहीं
जो हाथ तुमने थामा हैं
वह हाथ मेरा है नहीं
– कुmari कोmal