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5 Nov 2016 · 1 min read

मैं नही शब्द शिल्पी

मैं नहीं शब्द शिल्पी
✍✍✍✍✍✍✍✍

मैं नहीं कोई शब्द शिल्पी
जो शब्दों की ग्रन्थमाला गूथू
लिख साहित्य की विविध विधाए
गधकार कहानीकार मुक्ततकार
और अनेकानेक कार कहलाऊ

मैं नहीं कोई शब्द शिल्पी
जो देख निकलते भास्कर को
ऊषा सुन्दरी का पनघट से जल
भर लेकर आना नजर आए
या उसके पायल की झंकार
झन झन करती सी नजर आए

मैं नही कोई शब्द शिल्पी
जो देख निकलते चन्दा को
सूत कातती वृद्धा नजर आए
या आलिंगन आतुर महबूब की
प्रिया महबूबा नजर आए

मैं नहीं कोई शब्द शिल्पी
जो देख स्नाता नायिका को
नख शिख सौन्दर्य की बारीकियाँ
या देह संगुठन उन्नत माथ या
नटी कटि सी नजर आए

मैं नही कोई शब्द शिल्पी
मुझे तो बेबस माँ की वो कातर
नर्म आँखें नजर आती है
जो अपाहिज बच्चे को ले
लगाती डॉक्टर के चक्कर लगाती

मैं नहीं कोई शब्द शिल्पी
मुझे बेबस किसान की वो लाचारी
गरीबी दीनता नजर आती है
जो रख सब कुछ गिरवी
बस कर लेता है आत्म हत्या

मैं नहीं कोई शब्द शिल्पी
मुझे तो बस वे मुश्किलें
मुसीबतेंनजर आती है जो
दो वक्त की रोटी को लेकर
और सिर ऊपर छत की है

मैं नही कोई शब्द शिल्पी
मन तो मेरा भी करता है
लिख नित प्रेम पातियां प्रेम
का संसार बसा लूँ या
लिख गीत गीतकार बन जाऊँ

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
71 Likes · 317 Views
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