मैं नहीं था ______ गजल / गीतिका
विरासत और सियासत से बहुत कुछ मिला है मुझे।
पर सही मायने में इसका “हकदार ” मैं नहीं था।।
तुमने ही तो कहा था तुमसे प्यार है तुम पर मरते हैं।
धोखा देकर चले गए मुझे “कसूरवार” मैं नहीं था।।
कमी नही योग्यताओं में मेरी सब तो मेरे पास थी।
नहीं मिली चाकरी मुझे “नसीबदार” मैं नहीं था।।
जमाने की चकाचौंध में कैसे हवेली चमकाना है।
किसी की रोशनी छीनूं वह “कलाकार” मैं नहीं था।।
पीड़ाएं सबकी मिटा दूं समता जन-जन में ला दूं।
क्या करूं पर इतना “दमदार” मैं नहीं था।।
लिखने को बाकी है अभी वक्त वक्त पर लिखूंगा सभी।
“अनुनय” सब कुछ लिखने को “तैयार” मैं नही था।।
राजेश व्यास अनुनय