मैं नशे में हूँ
मुझको यारो माफ
करना मैं नशे में हूँ,
होश में मुझको न
लाना मैं मजे में हूँ।
दीन दुनिया की
नहीं मुझको खबर,
अह्सासे दर्द
से हूँ बेखबर।
कोई कहता है क्या,
हूँ इससे बेअसर,
मै हूँ उसकी राह में,
मंजिल पर मेरी नजर।
प्रेम रस मैंने पिया है,
प्रिय उसे मैं हूँ।
………मुझको यारो …….।
हर साँस मेरी है
उसकी अमानत,
न बरदास्त मुझको
कोई करे उसमें खयानत।
मन में मेरे गहरे
गड़ी है उसकी मूरत,
नयनों में बस गई है
उसकी सूरत।
खयालों में मेरे है वह,
मैं खयालों में उसके हूँ।
………….मुझको यारो …।
जयन्ती प्रसाद शर्मा