Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2022 · 2 min read

मैं द्रौपदी, मेरी कल्पना

मैं द्रौपदी !
आज अपनी व्यथा सुनाने आई हूँ।
महाभारत युद्ध कराने का,
जो कंलक लगा है मुझ पर,
मै उसे मिटाने आई हूँ ।

पुरुषों की इस दुनियाँ ने
यह कैसा स्वांग रचा है ।
अपने लोभ के लिए किए गये,
इस युद्ध का भी कलंक
मेरे माथे मढ़ा है।

महाभारत युद्ध का विगुल
तो पहले ही बज उठा था।
जब हस्तिनापुर को लोभ ने
चारों तरफ से जकड़ रखा था। ।

भाई-भाई को मारने का
षडयन्त्र रचा जा रहा था ।
सब लोगों के मन में
छल-कपट भरा पड़ा था ।

हस्तिनापुर के बड़े-बुर्जगों ने भी
जैसे आँखों पर पट्टी बाँध रखा था।
सही गलत के फैसलों पर
अपना मौन साध रखा था।

में द्रौपदी ,
उस दिन ही मर चुकी थी,
जिस दिन अर्जुन के संग
हस्तिनापुर आई थी।
और माँ कुंती के एक शब्द ने मुझे,
द्रोपदी से पांचाली बना दिया था।

अर्जुन ने भी हाँ में हाँ भर,
उस पर सहमति जता दिया था।
कहाँ पति का फर्ज निभाने के लिए ,
उसने मेरा साथ दिया था।

में द्रौपदी उस दिन भी,
चीखी थी चिल्लाई थी।
अपने सम्मान के लिए
सबके सामने गिड़गिराई थी।

पर कटे पक्षी की भाँति,
उस दिन भी बहुत छटपटाई थी।
अपने पर होने वाले इस अत्याचार को,
कहाँ रोक पाई थी।

उस दिन भी तो लोगों ने
मौन साध रखा था ।
मेरे पर होने वाले अत्याचार को देखकर भी ,
आँखो पर पट्टी बाँध रखा था।

उस दिन भी तो सबने मिलकर,
मेरी आवाज को दबा दिया था।
समय पटल पर लोगो ने ऐसा दिखलाया,
जैसे कुछ हुआ ही नहीं था।

मेरे आस्तित्व पर उस दिन ही,
प्रश्न चिन्ह लग गये थे।
जब पाँच भाईयों ने मिलकर,
मेरे संग ब्याह रचाया था।

मैं द्रौपदी!
दुःशासन और दुर्योधन पर क्रोधित तो थी ही,
पर सबसे ज्यादा क्रोध मुझे
युधिष्ठर पर आ रहा था।

क्यों युधिष्ठर के नजरों में,
मेरा कोई वजूद नही था?
क्यों सामान की तरह उसने,
मुझे जुए में लगा दिया था?
बिना मेरे सहमति के उसने
ऐसा क्यों किया था?

जब मैं यह सब रोक न पाई थी ।
फिर में कैसे युद्ध करवा सकती थी।

पर मेरा यह श्राप है कि ,
जब-जब कोई भी माँ
अपने बच्चों को ,
नारी का सम्मान
करना नही सिखाएगी।
तब- तब उसके वंश का नाश,
ऐसे ही होते रहेगा।

~अनामिका

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 561 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग़ज़ल _ गुलाबों की खुशबू सा महका करेगें।
ग़ज़ल _ गुलाबों की खुशबू सा महका करेगें।
Neelofar Khan
नहीं घुटता दम अब सिगरेटों के धुएं में,
नहीं घुटता दम अब सिगरेटों के धुएं में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
Shravan singh
मदर इंडिया
मदर इंडिया
Shekhar Chandra Mitra
"राहों की बाधाओं से ,
Neeraj kumar Soni
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पतोहन के साथे करें ली खेल
पतोहन के साथे करें ली खेल
नूरफातिमा खातून नूरी
दूर होकर भी मुहब्बत का असर रक्खा है ,
दूर होकर भी मुहब्बत का असर रक्खा है ,
Dr fauzia Naseem shad
नेता
नेता
Punam Pande
गीत मौसम का
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"आशा" के दोहे '
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
पर्वत के जैसी हो गई है पीर  आदमी की
पर्वत के जैसी हो गई है पीर आदमी की
Manju sagar
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
पूर्वार्थ
आश्रित.......
आश्रित.......
Naushaba Suriya
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
VINOD CHAUHAN
मेरी भी सुनो
मेरी भी सुनो
भरत कुमार सोलंकी
जिंदगी में आज भी मोहब्बत का भरम बाकी था ।
जिंदगी में आज भी मोहब्बत का भरम बाकी था ।
Phool gufran
Affection couldn't be found in shallow spaces.
Affection couldn't be found in shallow spaces.
Manisha Manjari
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*
Shashi kala vyas
जन जन फिर से तैयार खड़ा कर रहा राम की पहुनाई।
जन जन फिर से तैयार खड़ा कर रहा राम की पहुनाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
🙅आमंत्रण🙅
🙅आमंत्रण🙅
*प्रणय*
मेरी कलम से
मेरी कलम से
Anand Kumar
3628.💐 *पूर्णिका* 💐
3628.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
@@ पंजाब मेरा @@
@@ पंजाब मेरा @@
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
मंदिर में जाना जरुरी नहीं।
मंदिर में जाना जरुरी नहीं।
Diwakar Mahto
#भूली बिसरी यादे
#भूली बिसरी यादे
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
आग लगी थी सीने में।
आग लगी थी सीने में।
Rj Anand Prajapati
*बेटियॉं कठपुतलियॉं हरगिज नहीं कहलाऍंगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*बेटियॉं कठपुतलियॉं हरगिज नहीं कहलाऍंगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
"वक्त"
Dr. Kishan tandon kranti
गीत- चले आओ मिले तुमसे...
गीत- चले आओ मिले तुमसे...
आर.एस. 'प्रीतम'
Loading...