मैं दूब हूँ
मैं दूब हूँ
चरी जाती हूँ
काटी जाती हूँ
उखाड़ कर रख दी जाती हूँ
मेड़ पर
खेत से बार-बार
मैं दूब हूँ
इसलिये थेथर हूँ
कोमल कणों से लेकर
पत्थरों तक से करती हूँ संघर्ष
पाँव जमाने के लिये
मैं दूब हूँ
उपेक्षित हूँ
पर हरी हँ
साथ ही कोमल भी
पर इरादों म़े कड़ी हूँ
म़ै दूब हूँ
पद-दलित हूँ
शोषित हूँ
पर उदास नहीं हूँ
क्यों कि मैं हूँ पोषक
शोषक नहीं हूँ
और मैं हूँ
विष्णु -प्रिया