मैं तो मेरे जैसी हूँ
मैं तो मेरे जैसी हूँ
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मैं जैसी थी वैसी हूँ ।
नकल नहीं करना औरों की
मैं तो मेरे जैसी हूँ ।
थककर चकनाचूर हुई जब
दुनिया पूछे कैसी हो ?
बिस्तर पर बीमार पड़ी जब ,
फिर भी पूछे कैसी हो ?
कह देती हूँ साफ -साफ
मैं तो पहले जैसी हूँ ,
खुश हूँ सुनना चाहे सब
मैं जैसी थी वैसी हूँ ।
नकल नहीं ………………
मैं तो मेरे …………………
मेरे अंदर की प्रतिभा को
थोड़ा और निखरने दो ।
टूट के चकनाचूर हुई गर
मुझको नहीं बिखरने दो ।
खुशी के पल हो या हो गम के
मत पूछो मैं कैसी हूँ ,
हँसना -रोना सीख लिया है
मैं जैसी थी वैसी हूँ ।
नकल नहीं ………………..
मैं तो मेरे …………………..
सोना मिले या मिल जाये मिट्टी
मैं दोनों ही गढ़ लूँगी ।
नई किताबें हों या पुरानी
अक्षर -अक्षर पढ़ लूँगी ।
कभी नहीं सुधरना चाहूँ
बचपन से ही ऐसी हूँ ।
मुझमें लोग नया कुछ ढूँढे
मैं जैसी थी वैसी हूँ ।
नकल नहीं ………………
मैं तो मेरे …………………।
प्रतिभा स्मृति
दरभंगा (बिहार )