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13 Jun 2023 · 1 min read

मैं तो महज आवाज हूँ

मैं तो महज आवाज हूँ
कभी अपनों की
कभी सपनें की
मैं तो महज आवाज हूँ
दूर तक मैं गुंजती
ठोर कोई मैं ढूंढती
मैं तो महज आवाज हूँ
फड़फड़ाते पात की
और सूनी रात की
मैं तो महज आवाज हूँ
गूंज मैं हवाओं की
महक मैं फिजाओं की
मैं तो महज आवाज हूँ
गरीब की दबी हुई
V9द की बुझी हुई
मैं तो महज आवाज हूँ

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