#मैं_तो_बेटी_हुँ_तेरी!
मैं तो बेटी हुँ तेरी, मुझको जिलाना पापा।
मुझे छुपे शहरी भेड़ियों, से छिपाना पापा।।
मैं तो बेटी हुँ तेरी, मुझको सजाना पापा।
बुरी नज़रों से हमेशा, ही बचाना पापा।।
मैं तो बेटी हुँ तेरी!
मैं तो बेटी हुँ तेरी, धन नही पराया कोई।
तेरी थाती, तेरी दुहिता, नही शर्माया कोई।।
फिर काहें बोझ मानती है ये मुझको दुनियाँ।
मेरी दुनियाँ हो तुम, पालक न जमाना पापा।।
मैं तो बेटी हुँ तेरी, मुझको सजाना पापा।
हर सही राह मुझे, चुन के दिखाना पापा।।
मैं तो बेटी हुँ तेरी!
मैं तो बेटी हुँ तेरी, कांच की सी एक गुड़िया।
माँ की हुँ लाडली, तेरी नसीहत की पुड़िया।।
भईया और गुड्डे सा मैं भी हुँ जान नन्ही परी।
मुझको भी बाहों में तुम खूब खिलाना पापा।।
मैं तो बेटी हुँ तेरी, मुझको सजाना पापा।
मुझको भी घर का ही दीया बताना पापा।।
मैं तो बेटी हुँ तेरी!
मैं तो बेटी हुँ तेरी, कर्ज न पुराना कोई।
नही मुँह तेरे छिपाने का ही बहाना कोई।।
भाई बने हीरा तो कोहिनूर तू बनाना मुझे।
इतनी मिन्नत है मेरी, खूब पढ़ाना पापा।।
मैं तो बेटी हुँ तेरी, मुझको सजाना पापा।
अपनी पगड़ी की मुझे शान जताना पापा।।
मैं तो बेटी हुँ तेरी!
मैं तो बेटी हुँ तेरी, मुझको भी तो तोले कोई।
क्यों लड़के है, भगवान की देन बोले सभी।।
नाम बिटिया में है टिया का अर्थ क्या “चिद्रूप”।
इसको भगवान का उपहार बताना पापा।।
मैं तो बेटी हुँ तेरी, मुझको सजाना पापा।
बेटी नही बोझ यही सबको सुनाना पापा।।
मैं तो बेटी हुँ तेरी!
*टिया = भगवान का उपहार
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २२/०९/२०१९ )