*मैं तो बुआ बड़ी (गीत)*
मैं तो बुआ बड़ी (गीत)
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मैं तो सज-धज के मैके को जाऊॅं रे
मैं तो बुआ बड़ी
1
मैं बस से जाऊँ, मोटर से जाऊँ
मैं ट्रेन का आरक्षण कराऊँ
पहनूॅं मैं पायल, हरदम बजेगी
साड़ी बनारस वाली सजेगी
कैसे अपनी खुशी को मैं बताऊॅं रे
मैं तो बुआ बड़ी
2
मैके में यादें बचपन की आऍं
सखियाँ मुझे वहाँ झूला झुलाऍं
ऑंगन में खेली, जीना चढ़ी थी
‘क’ से कबूतर ,सीखी-पढ़ी थी
मैं तो मन-मन ही गाऊॅं हर्षाऊँ रे
मैं तो बुआ बड़ी
3
नुकती के लड्डू, हों सोन पपड़ी
पेठे का डिब्बा, हो और रबडी
पंजीरियों में मेवा जड़ी हो
नमकीन ढेरों काजू पड़ी हो
मैं तो मैके में सबको खिलाऊॅं रे
मैं तो बुआ बड़ी
मैं सज-धज के मैके को जाऊॅं रे
मैं तो बुआ बड़ी
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रचयिता रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451