मैं तो महज वक्त हूँ
मैं तो महज एक वक्त हूँ
कहीं समय का फेर हूँ
कहीं घड़ी भर देर हूँ
मैं तो महज एक वक्त हूँ
न कोई सीमा मेरी
न कोई गरीमा मेरी
मैं तो महज एक वक्त हूँ
सारे युगों का सार मैं
जीत मैं और हार मैं
मैं तो महज एक वक्त हूँ
ये सांस मेरी हद में है
ये जान मेरी जद में है
मैं तो महज एक वक्त हूँ
कृष्ण की गीता में मैं
V9द की कविता में मैं
मैं तो महज एक वक्त हूँ