मैं तो कलम था
कहीं बिक गया,
कहीं डर गया,
कहीं डराया गया
कहीं घसीटा गया,
मैं तो कलम था
अजी हांथो को,
तो कटा गया…
मेरे हौसले में दम था
मैं कुछ निर्भीक हांथों में भी
पाया गया,
सच पे आग उगलते भी
कई बार मुझे देखा गया
…सिद्धार्थ
कहीं बिक गया,
कहीं डर गया,
कहीं डराया गया
कहीं घसीटा गया,
मैं तो कलम था
अजी हांथो को,
तो कटा गया…
मेरे हौसले में दम था
मैं कुछ निर्भीक हांथों में भी
पाया गया,
सच पे आग उगलते भी
कई बार मुझे देखा गया
…सिद्धार्थ