मैं तो आँसू हूँ के, पलकों पे, ठहर जाऊँगा
मैं तो आँसू हूँ के, पलकों पे, ठहर जाऊँगा
अब अगर रोका तो महफ़िल में बिखर जाऊँगा
देखकर मुझको न मुँह फेरा करो ऐ यार तुम
तेरी आँखों से गिरा तो मैं किधर जाऊँगा
दूर तक गहरी उदासी है ख़मोशी है फ़क़त
वो ही रो देगा यहाँ, मैं तो जिधर जाऊँगा
मैं लिए जाता हूँ अफ़साने वफ़ा के ऐ सनम
के तुझे ही मैं सुनाऊंगा जिधर जाऊँगा
ज़िक्र ना कीजै सनम विरहा में डूबी रात का
ग़म अगर फिर से मिला सच में ही मर जाऊँगा