मैं तो अंहकार आँव
जमाना बदलत जात हे , किसम – कीसम के रूप ।
कभु – कभु हे बादर – बरसा , अउ कभु हे धूप ।
हर समय हर काल म , मोर काल नई आइस ।
लोगन मन के मोह ह , मोला बलवान बनाइस ।
बहुत प्रसिद्ध मोर नाव , जादा प्रसिद्ध मोर काम ।
जेखर मुड़ी म बिराजेव , करथव काम तमाम ।
नान कुन बात घलो , परबत कस रूप दिखाव ।
मैं…….. तो अंहकार आँव ।।1।।
बड़े बड़े ह मोला संगी , परम हितवा मानथे ।
जात धरम ले का लेना देना ,करम ल मोर जम्मो जानथे।
रावन मेछा टेंवत रहिगे , तीनों लोक के राजा आँव ।
मही-पालक ,मही-संचालक, बोअव चाही आगी लगांव।
धृतराष्ट्र जस के निमगा चेत हरागे , मोर पधारे ले ।
दुर्योधन ले मित्र ह हारे , टेडगा रहीस सुधारे ले ।
जरूरत हे का अब भी , धुन पूरा महाभारत सुनाव ।
मैं………..तो अंहकार आँव ।।2।।
तोरो ले आस हे….
गुस्सा-लोभ-कपट मोर चेला चपाटी, संपर्क सूत्र एजेंट आय ।
बने धरले पाग बना के , तोर मोर लाड़ू बने बन्धाय ।
कांही कुछु भी हो जाय , मोला छोड़बे झन।
मही बस परम हितवा तोर , मितानी ल टोरबे झन ।
सियान- समरत मन मेर , मोर भंग ल फोरबे झन ।
ज्ञान ग्रंथ बर भैरा बनजा , दांत ल निपोरबे झन । अक्कल के आंखी आए के पहली , नवा भकला बर एजेंट दौड़ावाव ।
मैं…….. तो अंहकार आँव ।।3।।
आज भी भाई – भाई म , छाती के कोदो दरवाथो ।
बहु – सास के बीच म , बरतन – भाड़ा कस बजवाथो।
बाप – बेटा के लकड़ी ल , दू फांती चिरवा देथो।
सुनता करइया बहिनी-फुफू ल ,चऊदा-बांटा बंटवा देथो।
जागो….
सुनता के बइठक जोर के , तातहे- रोसहे गोठिया ले करव।
आपस के झगरा नियाव ल , आपस म निपटा ले करव ।
तिरकट हे चाल मोर , त कइसे मोंगरा कस मम्हाव ।
मैं…….. तो अंहकार आँव ।।4।।
•• लखन यादव (गंवार)••
गांव :- बरबसपुर (बेमेतरा)36गढ़