मैं तेरी बातों को कैसे झुठला सकता हूँ
मैं तेरी बातों को कैसे झुठला सकता हूँ
तुझे सोच कर मैं वक़्त अपना गुज़ार सकता हूँ
बात जन्मों जन्मांतर की है, तू सोच कर तो देख
इन बन्दिशों में,मैं भी तेरे समीप आ सकता हूँ
मैं तेरी बातों को कैसे झुठला सकता हूँ
तुझे सोच कर मैं वक़्त अपना गुज़ार सकता हूँ
बात जन्मों जन्मांतर की है, तू सोच कर तो देख
इन बन्दिशों में,मैं भी तेरे समीप आ सकता हूँ