मैं तेरी फ़ौजन
कौन कहता है मुझसे दूर गए हो तुम,
करती हूंँ महसूस सांँसों में रम गए हो तुम।
पहले ये दिल ही था बसेरा तेरा और अब,
हर हिन्दुस्तानी के दिल में बस गए हो तुम।
रोएंँगे नहीं कि तुमको अश्क पसंद नहीं मेरे,
कर के वादा पर क्यों मुकर गए हो तुम।
हमें मोहब्बत देश को फ़र्ज़ कहा करते थे,
फ़र्ज़ औ मोहब्बत वतन पर लुटा गए हो तुम।
सात जन्मों का वादा था निभाने को जान,
क्षण भर का साथ दे यादें लुटा गए हो तुम।
तुम हो फ़ौजी तो मैं भी तेरी ही फौजन,
फ़र्ज़ निभाऊंँ जो मेरे जिम्मे कर गए हो तुम।
हमारा बेटा भी जाएगा जब सरहद पर “दीप”
तब ये समझूंँगी लौट वापिस आ गए हो तुम।
©️ कुलदीप कौर “दीप”