मैं तेरी पनाहों में क़ज़ा ढूंड रही हूँ ,
मैं तेरी पनाहों में क़ज़ा ढूंड रही हूँ ,
दीदार की हसरत है रज़ा ढूंड रही हूँ …
मुद्दत से नशे से निकल आयी हूँ यारों ,
फिर होश गंवाने को नशा ढूंड रही हूँ …
✍नील रूहानी…
मैं तेरी पनाहों में क़ज़ा ढूंड रही हूँ ,
दीदार की हसरत है रज़ा ढूंड रही हूँ …
मुद्दत से नशे से निकल आयी हूँ यारों ,
फिर होश गंवाने को नशा ढूंड रही हूँ …
✍नील रूहानी…