मैं तेरी चाहत को अपनी चाहत समझ बैठा
मैं तेरी चाहत को अपनी चाहत समझ बैठा
मैं तेरी चाहत को अपनी चाहत समझ बैठा
तू कसी और की जागीर थी , खबर नहीं मुझको
तेरे एहसास से रोशन है जिन्दगी मेरी
तू किसी और की अमानत थी , खबर नहीं मुझको
भरे शहर लुट रही अस्मत
ऐसे भी चरित्र बसर कर रहे , खबर नहीं मुझको
मुझे तेरी बेबसी का ख्याल था जानम
हमने बुलाया भी नहीं , आप आये भी नहीं
जिन्दगी सितारों की तरह बदलती है रंग अपना
कभी पास तो कभी दूर होने का गुमां देती है
खिलाओ फूल , कभी खुशबू फैलाकर देखो
किसी बदनसीब का नसीब बनाकर देखो