मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
क्षितिज हूं पर क्षिति पर हूं
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
गढ़ता रहूंगा शब्दों के मौन अभिविन्यास में ,
भाव की अभिव्यक्तियों में ,
सृजन की नव सृष्टियों में ,
उपवनों की खुशबूओं में,
कल्पना करता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा मैं तुम गढ़ता रहूंगा
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)