मैं तुम्हें भरोसा ना दे सका गुड़िया
मैं तुम्हें भरोसा ना दे सका गुड़िया
मैं आजीवन दोषी रहूंगा तुम्हारा
वो कमरा जिसमें तुम अपना
शेष समय बिताया करती थी
वो कुर्सी जिस पे बैठ के तुम
डायरी लिखा करती थी
घर की वो खिड़की जहाँ से
तुम घंटो प्रकृति को निहारती थी
आज मुझसे जवाब माँग रहे हैं
पर मैं इतना निष्ठुर असहाय हूं
कि जवाब भी नहीं दे सका उनको
घर का हर कोना जो हर वक्त
तुम्हारे आने का इंतजार किया करता था
दुनिया के क्रूरता से आज चुप सा हो गया है
मेरा वजूद भी नकार रहा है मुझको
मैं हार गया गुड़िया
हाँ हार गया मैं