मैं तुम्हें अब भूलना चाहता हूँ।
अब तो इजाजत दे दो इस दिल को,
मैं तुम्हें अब भूलना चाहता हूँ,
तुम्हारे गलतियों पर अब,
तुमसे रूठना चाहता हूँ,
अब तो इजाजत दे दो इस दिल,
मैं तुम्हें अब भूलना चाहता हूँ।
अब बर्दाश्त नहीं होता,
तुम्हारा मुझें यूँ नज़रअंदाज़ करना,
मेरे हर पल इंतज़ार पर,
तुम्हारा हर बार मुझें यूँ बेक़रार करना,
अब तुम्हारी ही शिकायत तुमसे
एक बार करना चाहता हूँ
अब तो इजाजत दे दो इस दिल,
मैं तुम्हें अब भूलना चाहता हूँ।
एक अरसा इंतज़ार किया तुम्हारा,
एक बार अब मैं ख़ुद को वापस पाना चाहता हूं,
तुझें एक बार तेरे नाम-ए-बेवफ़ा से बुला,
दिल को तस्सली देना चाहता हूं,
बहुत जी ली मैंने जिंदगी तेरे ख़ुशियों की ख़ातिर,
अब जिंदगी मैं ख़ुद के लिए जीना चाहता हूँ,
अब तो इजाजत दे दो इस दिल,
मैं तुम्हें अब भूलना चाहता हूँ।
दीपक ‘पटेल’