मैं तुम्हारी हूँ
ग़ज़ल
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मैं तुम्हारी हूँ बस तुम्हारी हूँ।
जबसे दिल तुमपे अपना हारी हूँ।।
मेरे सपनों के तुम हो शहजादे।
तेरी खातिर सजन कुँवारी हूँ।।
कत्ल तलवार सी नज़र कर दे ।
वार तीखा करे दो धारी हूँ।।
मैं इमारत थी प्यार की लेकिन।
भीत खँडहर की अब दरारी हूँ।।
नाश रावण सा तेरा कर दूँगी।
छू न मुझको मैं पाक नारी हूँ।।
लत ये बर्वाद तुमको कर देगी
बोली मदिरा विनाशकारी हूँ।।
जग ने ठुकराया ज्योति को अक्सर।
जाने क्यों तुमको इतनी प्यारी हूँ।।
✍?ज्योति श्रीवास्तव