मैं तुम्हारी आत्मा ही तो हूं
कभी कभार मुझको भी आंक लिया करो
मेरे दामन में झांक लिया करो
मैं बैठी रहती हूं अकेली, मुझसे बात किया करो
अपने अंतस में झांक लिया करो
जब भी थक हार कर, चूर हो जाओ
जीवन की राहों में, निराशा से घिर जाओ
मेरे पास थोड़ा, आराम किया करो
कभी-कभी काम से, विश्राम लिया करो
कभी कभी मुझसे भी बात किया करो
अपने ही दामन में झांक लिया करो
मैं तुम्हारी सारी थकान मिटाऊंगी
नित नई ऊर्जा का अमृत पिलाऊंगी
निराशा दूर कर आशा विश्वास जगाऊंगी
तुमको जीवन के गीत सुनाऊंगी
कभी कभी पास मेरे वैठ जाया करो
हाल चाल जान जाया करो
तुम मुझे पहचानो तो सही
मैं जन्म जन्म से तुम्हारी ही हूं ,
तुम्हारे पास ही तो हूं तुम्हारे अलग-अलग शरीरों में, तुम्हारे साथ ही तो हूं बस शरीर में आते ही, तुम मुझे भूल जाते हो
अपने अस्तित्व को, बाहर ही तलाशते हो
कभी-कभी आया भी करो,
मुझसे दो बात तो किया करो
मैं तुम्हारी आत्मा ही तो हूं
बताऊंगी जीवन की अमरता
और नश्वर शरीर के राज
समझा दूंगी सुख शांति
और जीवन का अक्षय प्रकाश
कि तुम, तुम नहीं, सिर्फ मैं हूं,
और रहूंगी हर दम हर समय तुम्हारे ही साथ,
इस लिए कभी कभी आया जाया करो,
तुम्हारा घर है तशरीफ़ लाया करो।। तुम्हारी आत्मा।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी