मैं तुझको इश्क कर रहा हूं।
मिलकर तुझसे मैं परिंदों सा उड़ रहा हूं।
ऐसा लगे मुझे जैसे मैं तुझे इश्क कर रहा हूं।।1।।
तेरी हर इक अदा पर ये दिल निसार है।
जी भर देखके तुझे अपनी नज़र भर रहा हूं।।2।।
अगर कोई देखे तुझे तो देखता ही रहे।
हर घड़ी मैं तेरे ही खयालों में जी मर रहा हूं।।3।।
बिना आसमां के जमीं का क्या वजूद।
पानी बिना एक मछली सा मैं तड़प रहा हूं।।4।।
गुलशन गुलों से मोहब्बत कर रहा है।
कलियों पर बैठे भंवरों सा मैं मचल रहा हूं।।5।।
खुदको तुम्हारे इश्क में भिगो रहा हूं।
सेहरा ए दिल पर आब सा मैं बरस रहा हूं।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ