“मैं तारीफें झूठी-मूठी नहीं करता ll
“मैं तारीफें झूठी-मूठी नहीं करता ll
किसी की चापलूसी नहीं करता ll
कम हैं, मगर सहीं सलामत हैं,
मैं उम्मीदें टूटी-फूटी नहीं रखता ll
नमीं जरूरी है स्वप्नों के फलने फूलने के लिए,
मैं आंखों की जमीं को रूखी-सूखी नहीं रखता ll
दूरियाँ बेशक हों हमारे दरमियाँ,
मैं दीवारें ऊंची-ऊंची नहीं रखता ll
मैं अपने काम से काम रखता हूँ,
मैं किसी की जासूसी नहीं करता ll”