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31 Jul 2024 · 1 min read

“मैं तारीफें झूठी-मूठी नहीं करता ll

“मैं तारीफें झूठी-मूठी नहीं करता ll
किसी की चापलूसी नहीं करता ll

कम हैं, मगर सहीं सलामत हैं,
मैं उम्मीदें टूटी-फूटी नहीं रखता ll

नमीं जरूरी है स्वप्नों के फलने फूलने के लिए,
मैं आंखों की जमीं को रूखी-सूखी नहीं रखता ll

दूरियाँ बेशक हों हमारे दरमियाँ,
मैं दीवारें ऊंची-ऊंची नहीं रखता ll

मैं अपने काम से काम रखता हूँ,
मैं किसी की जासूसी नहीं करता ll”

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