मैं जो भी हूँ तेरी ही तो मेहरबानी है
मैं जो भी हूँ तेरी ही तो मेहरबानी है
हालातों से लड़कर पहचान बनानी है
कल तक तेरे सहारे खड़ा था मैं
अब अपने सहारे जिंदगी बितानी है
दर्दों का एहसास फूलों पर हो गुजरता था
आज काँटों में चल कर खुद राह बनानी है
अंधेरो में रहकर चिराग ने कब अँधेरा जहाँ छोड़ा है
खुद चिराग की तरह जलकर किस्मत चमकानी है
मंझधार में छोड़ दिया कश्ती को उसने
अब नैया अपनी खुद पार लगानी है
भूपेंद्र रावत
17/08/2017