मैं जी न सका ज़िन्दगी ….
घिर गया हूँ मायूबी में इस क़दर से
मैं गिर गया हूँ खुद अपनी ही नज़र से
लानत वाली बात नहीं तो और क्या है ये
गैरों ने निकाला है मुझे मेरे ही घर से
धिक्कारते फटकारते और थूकते हैं लोग
गद्दार गुजरते हैं जहाँ से जिधर से
मेरी ज़िंदगी की दास्तां है मुख्तसर इतनी
मैं जी न सका ज़िन्दगी मौत के डर से